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उमर अब्दुल्ला आतंकियों से मिले , राहुल गांधी और उनके जीजाजी भी सोच-समझकर बात करें: लक्ष्मण सिंह

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राघौगढ़
 पहलगाम हमले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही पार्टी पर करारा हमला किया है। आतंकी हमले से आहत लक्ष्मण सिंह ने गृह नगर राघौगढ़ में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की ओर से निकाले गए कैंडल मार्च के बाद किला तिराहे पर श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं।

आतंकी हमले से आहत लक्ष्मण सिंह ने गृह नगर राघौगढ़ में कैंडल मार्च के बाद श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए आरोप लगा डाला कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं. उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस को नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार से तुरंत समर्थन वापस लेना चाहिए और इस बारे में वह कांग्रेस आलाकमान को लैटर तक लिखेंगे. उन्‍होंने राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा को नादान करार देते हुए कहा कि पार्टी को मुझे निकालना है तो निकाल दे.

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दरअसल, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की ओर से निकाले गए कैंडल मार्च के बाद किला तिराहे पर श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए लक्ष्‍मण सिंह ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं. कांग्रेस को तत्काल नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार से समर्थन वापस लेना चाहिए. इस संबंध में लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखने की बात भी कही है.

लक्ष्मण सिंह यहीं नहीं रुके. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. लक्ष्मण सिंह ने कहा कि राहुल जी के जीजा जी रॉबर्ट वाड्रा कहते हैं कि मुसलमानों को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने देते, इसलिए आतंकवादियों ने हमला किया है. लक्ष्मण सिंह ने वाड्रा और राहुल गांधी को सोच-समझकर बात करने की नसीहत देते हुए कहा कि इन्हीं की नादनियों की वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं.

लक्ष्मण सिंह ने अपनी बात रखते हुए पुरजोर तरीके से कहा कि वह यह सभी बातें कैमरे पर कह रहे हैं. मेरे लिए देश पहले है. अगर पार्टी को मुझे निकालना है तो निकाल दे. कांग्रेस के नेता 10 बार सोच-समझकर बोलें, नहीं तो चुनाव में उन्हें परिणाम भुगतना पड़ेगा.

लक्ष्मण सिंह ने पहलगाम हमले में उमर अब्दुल्ला की भूमिका को संदिग्ध बताया है. उनके मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से मुख्यमंत्री को ही तय करना होता है कि कहां पुलिस तैनात होगी और कहां सेना की तैनाती की जाएगी, लेकिन पहलगाम में जहां हुआ है वहां पुलिस और सेना दोनों ही नहीं थे. उमर अब्दुल्ला आतंकियों का साथ क्यों दे रहे हैं? इस पर बात करते हुए लक्ष्मण सिंह ने कि आतंक प्रभावित राज्यों का ऑडिट नहीं होता है. वहां की सरकारें नरसंहार करने वालों का सहारा ले रही हैं. इसलिए जम्मू-कश्मीर के नेता खरबपति हो चुके हैं. उमर अब्दुल्ला का बयान भी निदंनीय है. उन्होंने कहा था कि टूरिस्ट हवाई जहाज से आए थे और ताबूत में जा रहे हैं.

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