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अब 8 घंटे काम के बाद ही वेतन: रायपुर सफाईकर्मियों के लिए नया नियम

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 रायपुर

शहर की सफाई में काम करने वाले कर्मियों का अब आठ घंटे की पूरी ड्यूटी करनी पड़ेगी। प्रतिदिन आठ घंटे की ड्यूटी होने पर ही उन्हें सैलरी मिलेगी। नगर निगम द्वारा जोन स्तर अनुबंधित किए जाने वाले ठेका सिस्टम को भी खत्म करने जा रहा है।

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अब निगम हेड ऑफिस से ठेका एजेंसी नियुक्त की जाएगी, जो पूरे शहर में सफाई के लिए कर्मचारी, उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराएगी। नगर निगम की शहरी सरकार ने हाल ही में एमआइसी की बैठक में इस प्रस्ताव पर प्रारंभिक चर्चा की। बैठक में यह भी तय किया गया कि शहर की सफाई व्यवस्था को सख्ती और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाएगा।

नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि शहर के वार्डों में सफाई कर्मचारी अक्सर निर्धारित संख्या से कम ड्यूटी पर मिलते थे, जिससे सफाई कार्य में कोताही होती है। इससे शहर की सफाई का स्तर अपेक्षित नहीं रह पाया। अन्य नगर निगमों जैसे भिलाई, बिलासपुर, कोरबा, जगदलपुर और अंबिकापुर में सेंट्रलाइज्ड टेंडर से बेहतर परिणाम मिले हैं।

इस नए सिस्टम के तहत पूरे शहर की सफाई के लिए एक बड़ी एजेंसी को आनलाइन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। वार्डवार मानिटरिंग संबंधित जेडएचओ के माध्यम से होगी। हर वार्ड में अलग ठेकेदार की जगह अब एक सेंट्रलाइज्ड ठेका होगा, जिसमें पापुलेशन और वार्ड वाइज सफाई प्लान तैयार किया जाएगा।

निगम प्रशासन की चुनौती
वर्तमान में नगर निगम हर महीने लगभग 7 करोड़ रुपये 70 वार्डों की सफाई के एवज में अलग-अलग ठेका एजेंसियों को भुगतान करता है। इसके बावजूद कई वार्डों में सफाई पर्याप्त नहीं हो पा रही थी। इस समस्या का समाधान करने के लिए अब केंद्रीकृत सिस्टम लागू किया जा रहा है। इस नई व्यवस्था से शहरवासियों को साफ-सुथरी गलियां, व्यवस्थित सफाई और बेहतर सार्वजनिक सुविधा उपलब्ध होगी। निगम प्रशासन का कहना है कि आने वाले दिनों में सेंट्रलाइज्ड टेंडर प्रक्रिया पूरी कर नई प्रणाली लागू कर दी जाएगी।

सेंट्रलाइज्ड टेंडर से मिलने वाले फायदे

    कर्मचारी को 8 घंटे ड्यूटी करनी होगी और हाजिरी लगाना अनिवार्य होगा।
    सफाईकर्मी एक समान वर्दी पहनेंगे, जिससे पहचान आसान होगी।
    सफाई के लिए स्पष्ट रूट चार्ट तैयार होगा।
    ठेका एजेंसी के काम में मनमानी और गड़बड़ी पर रोक लगेगी।
    10 जोन के 70 वार्ड पूरे शहर में एक ही एजेंसी कवर करेगी।
    भुगतान में पारदर्शिता और मानिटरिंग में आसानी होगी।

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