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संवैधानिक संस्थाओं का अपमान और झूठ-फरेब की राजनीति कांग्रेस की पुरानी आदत : राजपाल सिंह सिसौदिया

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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने कांग्रेस नेत्री कुमारी शैलजा की पत्रकार-वार्ता पर दी प्रतिक्रिया

कानून का सामना करने से क्यों घबरा रहा कांग्रेस का शाही परिवार:  राजपाल सिंह सिसौदिया

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संवैधानिक संस्थाओं का अपमान और झूठ-फरेब की राजनीति कांग्रेस की पुरानी आदत : राजपाल सिंह सिसौदिया

-नेशनल हेराल्ड मामले में चोरी और सीनाजोरी कर रही कांग्रेस पार्टी
– राजपाल सिंह सिसौदिया

भोपाल
भारतीय जन
ता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने कांग्रेस नेत्री कुमारी शैलजा की पत्रकार-वार्ता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा झूठ, छल-कपट की राजनीति करती रही है। नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर उसका विरोध चोरी और सीनाजोरी को दर्शाता है। इस मामले में कांग्रेस के लोग कभी ईडी और आयकर के दफ्तर पर प्रदर्शन करते हैं, तो कभी इन संवैधानिक संस्थाओं की छवि खराब करने के लिए इन पर सवाल उठाते हैं। सिसौदिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की चार्जशीट में श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम आना पूरी तरह से तकनीकी और कानूनी मामला है। इसलिए सोनिया और राहुल गांधी को तकनीकी और कानूनी आधार पर अपना पक्ष अदालत में रखना चाहिए, लेकिन समझ में नहीं आता कि कांग्रेस का शाही परिवार इस मामले में कानून का सामना करने से घबरा क्यों रहा है?

आरोप लगाने से पहले आत्मविश्लेषण करे कांग्रेस
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले की शुरुआत 2012 में हुई थी, उस समय देश में कांग्रेस की ही सरकार थी। एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2013 में इस मामले में सुनवाई शुरू की और 2013 में ही केस दर्ज हुआ। उस समय देश में कांग्रेस की ही सरकार थी। ऐसे में ईडी की चार्जशीट में श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और सैम पित्रोदा आदि के जो नाम आए हैं, तो इन नामों को कौन सामने लाया? मोदी सरकार पर आरोप लगाने की बजाय कांग्रेस पार्टी को यह आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि इन लोगों के खिलाफ किसने ये षडयंत्र रचा था?

कार्पोरेट षडयंत्र की परिणति है नेशनल हेराल्ड मामला
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार 1937 में शुरू हुआ और 5000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इसके शेयरहोल्डर थे। 2008 में नेशनल हेराल्ड बंद हो गया।  उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड रुपए का लोन इस अखबार को दिया। नेशनल हेराल्ड की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी, तो कार्पोरेट षडयंत्र करके यंग इंडिया नाम की कंपनी बनाई गई, जिसमें 38-38 प्रतिशत शेयर श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी के थे। बाकी मोतीलाल वोरा व अन्य लोगों के थे। कांग्रेस एक पॉलीटिकल पार्टी है और यह जानना जरूरी है कि एक पॉलीटिकल पार्टी किसी प्राइवेट बॉडी को फंड कैसे दे सकती है? इसके बाद नेशनल हेराल्ड के 90 करोड़ के शेयर यंग इंडिया कंपनी को ट्रांसफर कर दिए गए, जिसके शेयर होल्डर्स श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी है। इस तरह यह पूरी संपत्ति एक परिवार के हाथ में आ गई। यह बताया गया था कि यंग इंडिया एक चैरिटेबल संस्था है, लेकिन यह क्या चैरिटी करती है, इसका किसी को कुछ नहीं पता। इस तरह से जो अखबार आजादी के आंदोलन में लड़ने वाले लोगों की आवाज को ताकत देने के लिए स्थापित किया गया था, उसे नेहरू खानदान की जागीर बना दिया।

स्वतंत्रता सेनानियों ने किया था विरोध
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी ऐसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की स्थापना देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने की थी। इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शेयर होल्डर्स ने कंपनी के अधिग्रहण का विरोध किया था, आपत्ति भी दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि शेयर धारकों से पूछे बिना कंपनी को किसी को भी कैसे दे दिया गया? उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता जी ने तो अधिकारिक रूप से कहा था कि नेशनल हेराल्ड के लिए मैंने मेहनत करके पार्टी कार्यकर्ताओं से पैसा जुटाया था और यह अखबार देश की आवाज उठाने के लिए स्थापित किया गया था। लेकिन इसे नेहरू खानदान की आवाज कैसे बना दिया गया? लेकिन कांग्रेस के एक परिवार के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के विरोध तथा आपत्तियों की भी परवाह नहीं की गई।

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