खाने में थूकना, पेशाब करना यह सभ्य मानव समाज के लिए कलंक है, मुस्लिम धर्मगुरुओं को कट्टरता से इनका का विरोध करना चाहिए- योगगुरु

 हरिद्वार
योगगुरु स्वामी रामदेव ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुस्लिम युवकों के खाने में थूकने, पेशाब आदि करने की घटनाओं का पुरजोर विरोध करने का आह्वान किया है. योगगुरु ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं पर मुस्लिम धर्मगुरु चुप्पी साधे हुए है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से मुस्लिम धर्म और कुरान पाक का प्रचार नहीं होता है. मुसलमान और कुरान ऐसी घटनाओं से बदनाम हो रहे है.

शनिवार को कनखल के दिव्य योग मंदिर में योगगुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कन्या पूजन किया. इस दौरान योगगुरु और आचार्य ने लोगों को दशहरा की शुभकामनाएं दी. हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर वायरल थूकने, पेशाब करने और गंदगी फैलाने की वीडियो पर बोलते हुए योगगुरु ने कहा कि ऐसी घटनाओं का मुस्लिम मुल्लों, मौलवियों और धर्मगुरु को आगे आकर बोलना चाहिए.

स्वामी रामदेव ने कहा कि ऐसी घटनाओं से इस्लाम का प्रचार नहीं होता है. कई दफा घटनाएं हो गई है. मुस्लिम धर्मगुरु ऐसी घटनाओं पर मौन हो जाते है. ऐसी घटनाएं रोकने के लिए मुस्लिम धर्मगुरुओं को बोलना चाहिए. कट्टरता से घटनाओं का विरोध करना चाहिए. यह सभ्य मानव समाज के लिए कलंक जैसी घटनाएं है.

वायरल हो रहे वीडियो
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में गाजियाबाद और नोएडा समेत तमाम जगहों पर खाना बनाते समय उसमें थूकने और पेशाब करने के वीडियो वायरल हो रहे हैं. ये तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. हालांकि योगी सरकार ने इस वीडियो के सामने आने के बाद अधिकारियों को निर्देश दिया है.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने होटल्स और रेस्टोरेंट में जांच करने के साथ ही सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया है. साथ ही पुलिस और प्रशासन से ऐसी घटनाओं पर कड़ा एक्शन लेने के लिए कहा गया है. जबकि अन्य राज्यों में भी ऐसी घटनाओं पर एक्शन की मांग हो रही है. 

बढ़ रहा है गैर-मुस्लिमों से दुश्मनी का भाव
मुसलमान जहां हैं, वहां बस दो ही मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं। पहली- गैर-मुस्लिमों को जैसे भी हो सके, प्रताड़ित करो, उनका धर्म भ्रष्ट करो और दूसरी- तरह-तरह के जिहाद से उनका धर्म परिवर्तन करवाओ। अब तो लगातार मिल रहे प्रमाणों से यह साबित सा हो गया है कि मुसलमान न हिंदुओं के साथ सामंजस्य चाहते हैं और ना हिंदुस्तान को अपना मानते हैं।

लेकिन उनकी मांग यह है कि हिंदू समावेशी विचारों से तनिक भी नहीं भटकें, धर्मनिरपेक्षता का दामन न छोड़ें। फिर पारदर्शिता से परहेज क्यों? किसकी दुकान है, यह बताने में क्या हर्ज? क्यों बात-बात में इस्लाम को खतरे में देखने वाला मुसलमान अपने होटलों, ढाबों के नाम हिंदू देवी-देवताओं पर रखेगा? उत्तर प्रदेश और कांवड़ यात्रा के मार्ग ही नहीं, पूरे देश में अगर कोई कुछ छिपाकर कारोबार कर रहा है तो क्या वह गुनाह नहीं है?

इतना दोहरपान लाते कहां से हैं, जनाब?
मुसलमानों और कथित मुस्लिम हितैषी राजनीति के ठेकेदारों के दोहरेपेन की पराकाष्ठा देखें। जो आज हिंदुओं को कांवड़ यात्रा के अनुष्ठान में भी मुसलमानों के थूक, पेशाब वाली खाने-पीने की चीजें स्वीकार करने को कह रहे हैं, वही मुसलमानों की हलाल कॉस्मेटिक्स, हलाल दवाई और यहां तक कि हलाल होटल, हलाल यात्रा तक की तरफदारी करते हैं।

 मुख्तार अब्बास नकवी, जावेद अख्तर, असदुद्दीन ओवैसी, एसटी हसन समेत उन तमाम मुसलमानों की गैरत कैसे मर गई जब मुसलमानों ने हलाल इकॉनमी खड़ी कर ली? इनमें से किसकी हिम्मत है जो मुसलमानों से पूछ ले कि आखिर चौबीसों घंटे, हर जगह, हर चीज में हलाल, हलाल की रट लगाने की क्या जरूरत है?

 बल्कि उलटा ये हलाल के लिए मुसलमानों को उकसाएंगे, उनका साथ देंगे, हजार तरह के तर्क देंगे। लेकिन हिंदुओं को समावेशी होना चाहिए। हिंदुओं को तो मंदिरों में भी गंगाजल नहीं मुसलमानों का पेशाब पीकर जाना चाहिए। क्या ये यही चाहते हैं? इनमें है कोई माई का लाल जो दावा करे कि मुसलमान खाने-पीने के सामानों में थूक नहीं रहे, पेशाब नहीं कर रहे, उसे हर तरह से अपवित्र और गंदा नहीं कर रहे? है इनमें हिम्मत कि सोशल मीडिया और मुख्य धारा के मीडिया में आ रही थूक, पेशाब वाली खबरों और प्रमाण के रूप में पेश किए जा रहे वीडियोज को नकार दें?

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