फीस रिव्यू की गुत्थी सुलझाने शासन ने दो अधिवक्ताओं किये नियुक्त

भोपाल

प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति के अपीलीय प्राधिकारी की कुर्सी पर दो साल बाद भी नियुक्ति नहीं हो सकी है। इन दो सालों में करीब 138 कॉलेजों के फीस रिव्यू के लिए आवेदन कर चुके हैं। अब उक्त प्रकरणें को सुलझाने के लिए शासन ने दो अधिवक्ताओं को नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री निवास पर ढाई साल से फीस कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी को नियुक्ति करने की फाइल धूल खा रही है।

ढाई साल में फीस कमेटी ने उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और आयुष विभाग के हजारों कॉलेजों की फीस निर्धारित की। इसमें करीब 138 कॉलेज फीस कमेटी द्वारा निर्धारित की गई फीस से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए उन्होंने अपीलीय प्राधिकारी कार्यालय में फीस को रिव्यू कराने का प्रपोजल और एप्लीकेशन भेजी जरूर हैं, उनका निराकरण आज दिनांक तक नहीं हो सका है। सीएम हाउस में फाइल को लंबित देख तकनीकी शिक्षा विभाग ने सेडमैप के माध्यम से दो अधिकवक्ताओं की नियुक्ति की है। इसमें तान्या सक्सेना और समर्थ सिंह शामिल हैं। अब उक्त दोनों अधिवक्ता फीस से जुडे मामलों की अपना निर्णय देंगे, जिस पर सरकारी मोहर लगेगी और कालेजों को उक्त निर्णय मान्य होगा।

पहली बार इतना इंतजार
फीस कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति का मामला पहली बार इंतने लंबे समय के लिए लंबित रहा है। इसके पहले पूर्व आईएएस पी. दाश की नियुक्ति में भी सीएम हाउस को नियुक्ति करने में ज्यादा समय नहीं लगा था। वहीं हाईकोर्ट के पूर्व जज व्हीके अग्रवाल के कार्यकाल को एक दिन में तीन साल के बाद बढ़ाया गया था। जबकि आलोक वर्मा के कार्यकाल को समाप्त हुई ढाई साल बीत गया है और अभी नये अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। उनकी पूर्ति करने के लिऐ शासन ने दो अधिवक्ताओं को जरुर नियुक्त कर दिया है।

हाईकोर्ट के पूर्व जज या पूर्व आईएएस को अधिकार
फीस कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी सिर्फ हाईकोर्ट के पूर्व जज या पूर्व सीनियर आईएएस आफिसर हो सकते हैं। सात मार्च को आलोक वर्मा का कार्यकाल खत्म होने के बाद एक साल का समय बीत चुका है, लेकिन विभाग इस पद पर किसी का चयन नहीं कर सका है।