अंकारा स्टॉकहोम
यूक्रेन और रूस में जारी जंग के बीच तनाव और बढ़ सकता है। रूस के पड़ोसी देश फिनलैंड को इसी साल नाटो की मेंबरशिप मिली थी और अब अमेरिका के नेतृत्व वाला यह परिवार और बड़ा होने वाला है। स्वीडन को भी नाटो की मेंबरशिप आने वाले कुछ दिनों में मिल जाएगी। अब तक स्वीडन की एंट्री का विरोध कर रहे तुर्कीये ने इसके लिए मंजूरी दे दी है। नाटो संगठन की सदस्यता लेने वाला स्वीडन 32वां देश होगा। रूस के खिलाफ एकजुटता दिखाने की कोशिश में जुटे अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों को इससे और मजबूती मिलेगी। यही नहीं रूस के खिलाफ एक धारणा भी बनेगी कि कैसे उसके हमले के विरूद्ध दूसरे देश एकजुट हो रहे हैं।
फिनलैंड की एंट्री के साथ ही रूस के साथ नाटो देशों की सीमा करीब 2,500 किलोमीटर हो गई है। अकेले फिनलैंड ही रूस से 1,300 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। रूस की ओर से कई पड़ोसी देशों पर हमले की धमकी दिए जाने से दहशत का माहौल है। खासतौर पर स्वीडन जैसे छोटे देश टेंशन में हैं क्योंकि उनकी सेना भी कमजोर है और क्षेत्रफल में भी वे रूस के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते। वहीं अमेरिका के लिए यह अहम है कि उसे रूस के खिलाफ लगातार समर्थन मिल रहा है। वह इसे रूस के खिलाफ यूरोप और पश्चिम की एकजुटता के तौर पर देखता है।
नाटो संगठन की शुरुआत 1949 में हुई थी, जिसमें मुख्य तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल, इटली, कनाडा आइसलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड और लग्जमबर्ग जैसे देश शामिल थे। फिर इसका लगातार विस्तार होता गया और अब इसके 31 सदस्य हैं। स्वीडन की एंट्री के बाद नाटो का कुनबा 32 देशों का हो जाएगा। तुर्की और ग्रीस को नाटो में 1952 में एंट्री मिली थी, जबकि जर्मनी 1955 में इसका हिस्सा बना था। रूस इस संगठन को अपने लिए खतरा मानता रहा है क्योंकि उसके कई पड़ोसी देश इसका हिस्सा हैं।
यूक्रेन पर हमले की एक वजह नाटो भी है, क्या चाहता है रूस
दरअसल नाटो का एक नियम है कि यदि उसके किसी सदस्य देश पर हमला होता है तो फिर सभी उसे सैन्य मदद देंगे। यही नहीं हथियार लेकर मित्र देशों की सेनाएं भी जंग में उतर सकती हैं। यूक्रेन पर हमले के लिए भी रूस इसी को आधार बताता है। यूक्रेन के नाटो जॉइन करने की चर्चा थी और रूस चाहता है कि वह इससे दूर रहे। व्लादिमीर पुतिन सरकार ने यूक्रेन से शर्त भी रखी थी कि यदि वह कहे कि हम नाटो जॉइन नहीं करेंगे तो फिर हमला नहीं किया जाएगा। इस पर यूक्रेन ने अब तक भरोसा नहीं दिया है।
नाटो देशों के साथ रूस की कितनी लंबी सीमा
रूस के साथ सीमा साझा करने वाले नाटो देशों में नॉर्वे, लाटविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और पोलैंड शामिल हैं। इन सभी देशों की 754 मील सीमा रूस से लगती थी, लेकिन फिनलैंड की एंट्री के बाद यह बढ़कर 1,584 हो गई थी। अकेले फिनलैंड ही रूस के साथ 830 मील लंबी सीमा साझा करता है। नाटो को दुनिया के सबसे बड़े रणनीतिक सहयोग संगठनों में से एक माना जाता है।