नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (BJP) अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। भगवा पार्टी की अगुवाई में 18 जुलाई को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजित पवार साथ-साथ महाराष्ट्र में शिवसेना और सरकार की कमान संभाल रहे एकनाथ शिंदे के भी शामिल होने की संभावना है। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान के भी शामिल होने की पूर्ण संभावना है।
भाजपा नेतृत्व ने सैद्धांतिक रूप से जनता दल (एस), ओम प्रकाश राजभर के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और बिहार में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी को भी एनडीएम शामिल होने की सहमति दे दी है। हालांकि, अभी तक किसी भी दल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा के भी इस बैठक में शामिल होने की संभावना है।
महाराष्ट्र में मजबूत दिख रही एनडीए की स्थिति
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की तरफ से राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के साथ उन्हें भी एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। पहले शिवसेना और अब एनसीपी में हुई टूट के कारण महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की स्थिति मजबूत दिखने लगी है।
पशुपति पारस की बढ़ेंगी मुश्किलें
भारतीय जनता पार्टी ने चिराग पासवान को वापस लेने का भी फैसला किया है। इस बात की संभावना है कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय में अपनी जगह गंवानी पड़ सकती है। आपको बता दें कि चिराग पासवान अपने दिवंगत पिता और दलित नेता राम विलास पासवान के एकमात्र उत्तराधिकारी हैं। लोजपा बिहार में दुसाधों/पासवानों की पार्टी मानी जाती है। बिहार में इनकी आबादी करीब 4.5% है।
बिहार में महागठबंधन को टक्कर देने की तैयारी
चिराग पासवान से पहले बिहार में एक और दलित नेता जीतनराम मांझी की हाल ही में एनडीए में एंट्री हुई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू के द्वारा हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के विलय की जिद के विरोध में वह एनडीए में शामिल हो गए थे। बीजेपी बिहार में सवर्णों, गैर-यादव और गैर-कुर्मी ओबीसी और दलितों का एक इंद्रधनुषी गठबंधन तैयार करने की कोशिश कर रही है।
PM मोदी की पहल पर बढ़ रहा NDA का कुनबा
इसके अलावा भाजपा अपने दो पूर्व सहयोगियों (तेलुगु देशम पार्टी और शिरोमणि अकाली दल) के साथ भी चर्चा कर रही है। बीजेपी को यह भी लगता है कि जब विपक्षी दलों का मोर्चा बनाने का प्रयास विफल होता दिख रहा है, एनडीए के विस्तार से धारणा की लड़ाई में पार्टी की छवि में सुधार होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही मई के आखिरी हफ्ते में एनडीए को मजबूत और विस्तारित करने की जरूरत पर जोर दिया था।