नई दिल्ली
लंदन के लॉर्ड्स में खेले गए एशेज सीरीज के दूसरे मैच को समाप्त हुए तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक एक विवाद पर सभी के बयान सामने आ रहे हैं। ये विवाद इंग्लैंड के बल्लेबाज जॉनी बेयरेस्टो के स्टंपिंग से जुड़ा था, जिसने मैच का रुख पलट दिया था। इस पर अब ऑस्ट्रेलिया की टीम के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने बताया है कि इस केस में बेन स्टोक्स को क्या करना था।
बेयरेस्टो के डिसमिसल के बाद दोनों खेमों में काफी चर्चा हुई। कमिंस आउट करने के अपने फैसले पर कायम हैं और स्टोक्स ने सुझाव दिया है कि अगर ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ता तो वह अपील वापस ले लेते। स्टोक्स ने मैच के बाद कहा था, “ऑस्ट्रेलिया के लिए यह मैच जीतने वाला क्षण था। यदि मैं उस समय फील्डिंग कप्तान होता तो मैं अंपायरों पर यह पूछने के लिए अधिक दबाव डालता कि ओवर के अंत में उनका निर्णय क्या था। इसके बाद मैंने खेल की भावना के बारे में गहराई से सोचा होता।”
पोंटिंग ने इस पर कहा कि हीट ऑफ द मोमेंट में कमिंस के लिए इतना साहसिक और त्वरित फैसला करना मुश्किल था। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ने स्टोक्स पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें अपनी प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए कुछ घंटों का समय मिला। पोंटिंग ने आईसीसी रिव्यू में कहा, "दो चीजें जो इन दोनों कप्तानों को अलग करती हैं, वह यह है कि बेन स्टोक्स के पास अपने जवाब के बारे में सोचने के लिए लगभग तीन घंटे थे, लेकिन कमिंस के पास कुछ ही सेकेंड थे कि वे अपील बरकरार रखें या नहीं।"
पोंटिंग ने कहा, "(मैच के अंत में) बेन के लिए बैठना और उस दृष्टिकोण को बताना बहुत आसान है, लेकिन वह वास्तव में अपनी टीम के बल्लेबाजी कप्तान के रूप में वहां मौजूद थे। वह मैदान पर थे और पूछ सकते थे कि ओवर हुआ या नहीं। अगर वह आश्वस्त नहीं थे तो उन्होंने अंपायरों से कहा होता कि क्या यह (ओवर) खत्म हो गया था? क्या आपने चलना शुरू कर दिया था? क्या गेंद डेड हो गई है?' ये वे प्रश्न थे जिनका उत्तर उसी समय दिया जाना था, न कि बाद में जब खेल समाप्त हो गया था।"