भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार ने बजट में की 15% कटौती

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मध्य प्रदेश सरकार ने 2020-21 के अपने सालाना बजट में 15 प्रतिशत तक की कटौती की है, जिसमें तीन अहम विभागों स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और आयुष विभाग के 403 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। इसके बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए और पैसों की जरूरत है। राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि अध्यादेश के जरिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने रविवार को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट इस्तेमाल को मंजूरी दी। पिछले साल प्रदेश का बजट विनियोजन 2,33,605 करोड़ रुपए का था, जबकि इस साल इसमें 28,000 रुपए की कटौती कर 2,05,397 करोड़ रुपए कर दिया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार सभी विभागों के बजट में 10 से 15 प्रतिशत तक की कमी की गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, "कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और आयुष विभाग के बजट में क्रमशः 142 करोड़ , 249 करोड़ और 12 करोड़ रुपए की कटौती ने राज्य में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या को लेकर हमारी चिंता बढ़ा दी है।"
स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले अरविंद मिश्रा ने कहा, "मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जहां इस तरह की कहानियां सुनने को मिलती हैं कि छतरपुर में सड़क पर एक महिला ने बच्ची को जन्म दिया, सिधी में एक परिवार को अपने मृत परिजन के शरीर को अस्पताल से घर एक खाट पर ले जाना पड़ा और गुना में इलाज के अभाव में एक व्यक्ति की मौत हो गई…. ये कुछ उदाहरण हैं जो राज्य की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को जाहिर करती है। मध्य प्रदेश में, कोरोना वायरस के अधिकतर मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में किया जा रहा है।" एक अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ अमूल्य निधि ने कहा, "निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर राज्य सरकार की निर्भरता सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को पूरी तरह से ध्वस्त कर देगी। कई ऐसे विभाग हैं जिसके बजट में कटौती की जा सकती थी, लेकिन कोरोना महामारी के समय में स्वास्थ्य बजट में कमी करना एक पाप की तरह है। दूसरे राज्यों की तरह, महामारी के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित करने की जरूरत थी, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार इसे नजरअंदाज कर दिया क्योंकि वे चाहते हैं कि लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राज्य से बाहर जाएं या निजी अस्पतालों में पैसा खर्च करें।"
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा कि बजट आवंटन में कमी से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पूर्व जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, "यह पहली बार है, कि घटाए गए बजट को एक अध्यादेश के माध्यम से पारित किया गया है। यह शर्मनाक है। इस महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बजट को बढ़ाने के बजाय, स्वास्थ्य संबंधी विभागों के 403 करोड़ रुपए कम कर दिए गए। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा के बजट में कमी यह दिखाती है कि कोरोना वायरस की वजह से मरने वाले आम लोगों के प्रति भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार कितनी असंवेदनशील है।"